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दुस्साहस : अपहरण कर लेखपाल की हत्या, शव बरामद ! फरीदपुर टू कैंट तक तफ्तीश ! खाकी की संवेदनहीनता फिर आयी सामने ! आखिर क्यों हुई हत्या ? पहले घोटाले के खुलासे में मर्डर की चर्चा अब रुपयों के लिए कत्ल की बात ?

धर्मेन्द्र रस्तोगी

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लखनऊ (धर्मेंद्र रस्तोगी/जर्नलिस्ट इन्वेस्टीगेशन न्यूज)। यूपी के बरेली से सनसनीखेज खबर है। घर से तहसील गए लेखपाल की अगवा कर निर्मम हत्या कर दी गयी। रविवार को लेखपाल का शव बरामद हो गया। लेखपाल का 18 दिन पहले अपहरण कर लिया गया था। पूरे प्रकरण में खाकी की जो संवेदनहीनता सामने आयी है, उससे परिजनों में बेहद आक्रोश है। बरेली की फरीदपुर तहसील में तैनात लेखपाल मनीष कश्यप के 27 नवंबर को लापता होने की सूचना पुलिस के संज्ञान में लायी गयी। थाना पुलिस मामले में संवेदनहीन बनी रही। परिजनों के हंगामे पर एडीजी बरेली जोन रमित शर्मा ने जिम्मेदारों को कड़ा एक्शन लेने के सख्त निर्देश दिए। थाना पुलिस ने धारा 140 बीएनएस के तहत एफआईआर दर्ज कर ली। एफआईआर दर्ज करने के साथ ही थाना पुलिस का काम खत्म। जब 12 दिन तक थाना पुलिस के हाथ खाली रहे तो परिजनों ने 9 दिसंबर को एसएसपी बरेली अनुराग आर्य से विवेचना ट्रांसफर की मांग करते हुए फरीदपुर थाना पुलिस खासकर एसएचओ पर गंभीर लापरवाही के आरोप लगाये। एसएसपी ने मामले की विवेचना एसएचओ फतेहगंज पश्चिमी को दे दी। साथ ही एसपी क्राइम की अगुवाई में एसओजी टीम, सर्विलांस टीम, साइबर सेल व थाना फरीदपुर पुलिस टीम को लगा दिया। पुलिस टीमें खुलासे के नाम पर इतना सुस्त चाल चलीं कि लंबे समय बाद आरोपी अवधेश उर्फ ओमवीर कश्यप निवासी कपूरपुर फरीदपुर को हिरासत में लेकर उसकी निशानदेही पर लेखपाल के शव के अवशेष बरेली के कैंट थाना क्षेत्र से रविवार को बरामद कर लिए। मृतक के कपड़े, मोहर, घटना में प्रयुक्त आर्टिगा कार आरोपी के घर से बरामद हुई है। पूरे घटनाक्रम के बाबत एसएसपी बरेली अनुराग आर्य ने मीडिया को बताया कि अभी तक की पूछताछ में पता चला है कि आरोपी अवधेश उर्फ ओमवीर कश्यप व सूरज कश्यप ने 27 नवंबर को लेखपाल मनीष कश्यप को शराब पिलाने के बहाने फरीदपुर फाटक के पास बुलाया। फिर आर्टिगा कार पर बिठा लिया। दारु पार्टी के बीच इन लोगों ने मनीष को अत्यधिक शराब पिलायी। मफलर से गला कसकर मनीष की कार के अंदर ही हत्या कर दी गयी। रुपयों के लिए अपहरण कर हत्या की बात एसएसपी ने कही है। एसएसपी के मुताबिक 6 महीने से आरोपी और मृतक एक दूसरे से परिचित थे। मोबाइल पर बात होने के साथ कई बार इन लोगों की मुलाकात भी हो चुकी थी। नेत्रपाल, नन्हें समेत कुछ अन्य नाम सामने आये हैं। फरार हत्यारों की धरपकड़ को कई टीमें लगायी गयी हैं। हालांकि, बड़े घोटाले के खुलासे को लेकर भी लेखपाल की हत्या की चर्चायें जोर पकड़े हुए हैं। पैमाइश विवाद की बात भी चर्चा में आई है। अब रुपयों के लिए हत्या की बात सामने आ रही है। सच जो भी हो, लेकिन बड़ा सवाल है कि कानून के लंबे हाथ भी अपहरण के बाद लेखपाल को जिन्दा ना बचा सके?। परिजनों ने लोकल एसएचओ पर गंभीर आरोप लगाने के साथ ही सिस्टम पर सवाल खड़े किये हैं। एसएसपी बरेली अनुराग आर्य का साफ तौर पर कहना है कि दोषी जो भी होगा, बच नहीं सकेगा। गहनता से पूछताछ और पड़ताल अभी जारी है। (जर्नलिस्ट इन्वेस्टीगेशन न्यूज)।

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