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परीक्षण हो चुके मालों को है विवेचकों का इंतजार ! थानेदारों से लेकर कप्तानों की संवेदनहीनता पर एडीजी ने शुरू कराई जांच

धर्मेन्द्र रस्तोगी

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लखनऊ (धर्मेंद्र रस्तोगी /जर्नलिस्ट इन्वेस्टीगेशन न्यूज)। यूपी पुलिस के कई थानेदारों व सर्किल ऑफिसरों से लेकर पुलिस कप्तानों की संवेदनहीनता से नाराज एडीजी ने गंभीर शिकायत के बाद जिम्मेदारों की लापरवाही की जांच शुरू करा दी है। कल ही सीएम योगी ने वीसी के जरिये प्रदेशभर की क्राइम कण्ट्रोल व लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति की समीक्षा की है। समय समय पर सीएम व डीजीपी सख्त निर्देश भी जारी करते रहे हैं कि अपराध नियंत्रण को प्रभावी पुलिसिंग की जाए। हत्या, रेप, लूट जैसी घटनाओं का शीघ्र खुलासा करने को अत्याधुनिक वैज्ञानिक तकनीक का सहयोग लिया जाए। मुकदमों से सम्बंधित मालों का समय रहते परीक्षण कराकर अति शीघ्र विवेचनायें निस्तारित की जायें। 

उच्च स्तर के इन सभी निर्देशों के बावजूद आलम ये है कि गंभीर जरायम की एफएसएल रिपोर्ट और विभिन्न महत्वपूर्ण मुकदमों से सम्बंधित माल परीक्षण होने के बाद भी विधि विज्ञान प्रयोगशाला में धूल फांक रहे हैं। विधि विज्ञान प्रयोगशाला के अफसर मौखिक व पत्राचार के माध्यम से सम्बंधित विवेचकों, थानेदारों, सर्किल ऑफिसरों और यहां तक कि पुलिस कप्तानों को अवगत करा चुके हैं कि परीक्षण के बाद भी बड़े पैमाने पर विभिन्न मुकदमों से सम्बंधित माल विधि विज्ञान प्रयोगशाला में पड़े हैं। बार बार अवगत कराने के बाद भी परीक्षण हो चुके मालों को संबंधित जिम्मेदार विधि विज्ञान प्रयोगशाला से नहीं ले जा रहे हैं। ऐसे में साफ तौर पर जिम्मेदारों की संवेदनहीनता व घोर लापरवाही देखी जा सकती है। दरअसल, विवेचना अधिकारी को अपराध विवेचना में वैज्ञानिक सहायता प्रदान करने, अपराध स्थल से वैज्ञानिक साक्ष्य एकत्र करने, उसकी उचित पैकिंग, सील करने और परीक्षण के लिए प्रयोगशाला भेजने में मदद करने के साथ ही पुलिस व अन्य विधि विज्ञान संस्थानों के कर्मचारियों को प्रशिक्षण देने वाली विधि विज्ञान प्रयोगशाला आजकल परीक्षण हो चुके महत्वपूर्ण मालों के बोझ से दबी हुई है। बड़े पैमाने पर खाकी वालों की गैर जिम्मेदाराना कार्यप्रणाली से नाराज विधि विज्ञान प्रयोगशाला के डिप्टी डायरेक्टर ने एडीजी से इस गंभीर मामले की शिकायत की है। एडीजी ने अब छोटे से लेकर बड़े स्तर के जिम्मेदारों के खिलाफ जांच शुरू करा दी है। माना जा रहा है कि लापरवाह थानेदारों और सर्किल ऑफिसरों पर जल्द ही विभागीय कार्यवाही की गाज गिर सकती है। पता चला है कि बरेली परिक्षेत्र के बदायूं जनपद के 56, पीलीभीत के 36, शाहजहांपुर के 127 और बरेली जिले के 175 माल परीक्षण होने के बाद भी विधि विज्ञान प्रयोगशाला केंद्र में धूल फांक रहे हैं। विभिन्न थानों में थोक के भाव विवेचनायें लंबित होने का बड़ा कारण भी जिम्मेदारों की संवेदनहीनता मानी जा रही है।

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