मण्डलायुक्त ने किया बदायूँ में बाढ़ सम्भावित इलाकों का निरीक्षण। कार्यगुणवत्तापूर्ण न पाये जाने पर मण्डलायुक्त ने जताई नाराजगी
*दिये टी0ए0सी0 जांच के निर्देश टी0ए0सी0 तीन दिन में जांच कर सौंपे आख्या-मण्डलायुक्त*
बदायूँ, (जे आई न्यूज़) 06 जुलाई बताते चलें मण्डलायुक्त ने बाढ़ खण्ड, बदायूँ के तहसील सहसवान के अन्तर्गत गंगा महाबा तटबन्ध पर बाढ़ सुरक्षात्मक कार्यो का स्थलीय निरीक्षण एवं भ्रमण किया गया। निरीक्षण के समय स्थल पर डा0 राकेष कुमार सिंह, पुलिस महानिरीक्षक, बरेली परिक्षेत्र, बरेली, श्री शर्मनानन्द तहसीलदार, सहसवान, श्री वीरेन्द्र सिंह यादव, सहायक अभियन्ता, सम्बंधित जूनियर इंजीनियर आदि अधिकारीगण उपस्थित रहे। निरीक्षण के समय स्थल पर पाया गया कि जनपद बदायूँ की तहसील सहसवान में गंगा नदी के बायें किनारे पर गंगा महाबा तटबन्ध पूर्व निर्मित है, जिसकी कुल लम्बाई 34.900 कि0मी0 है। तटबन्ध के कि0मी0 18.500 से कि0मी0 19.500 के मध्य तटबन्ध का निरीक्षण एवं ग्राम नगलावरन के निकट तटबन्ध के कि0मी0 18.530 से 18.710 के मध्य बाढ़ सुरक्षात्मक परियोजना के कार्यों का निरीक्षण किया गया। परियोजना के अन्तर्गत तटबन्ध के कि0मी0 18.710 पर स्पर का निर्माण किया गया है, जिसमें आगरा कट स्टोन पत्थर को वायरक्रेट में भरकर लॉचिंग एप्रन का कार्य किया गया है, तटबन्ध व शैंक के स्लोप पर आगरा कट स्टोन पत्थर से पिचिंग भी की गयी है। निर्मित स्पर के शैंक की टॉप पर ब्रिक सोलिंग का कार्य किया गया है तथा गंगा नदी के बायें किनारे पर कि0मी0 18.530 से 18.710 के मध्य तीन पंक्तियों में परकोपाइन स्क्रीनिंग का कार्य किया गया है।
मण्डलायुक्त ने मौंके पर पाया कि तटबन्ध के कि0मी0 18.710 पर स्पर पर ब्रिक सोलिंग, स्लोप पिचिंग एवं लॉचिंग एप्रन का कार्य किया गया है परन्तु प्रथम दृष्टया स्थल पर किये गये स्लोप पिचिंग एवं ब्रिक सोलिंग का कार्य गुणवत्तापूर्ण नहीं पाये गये। ब्रिक सोलिंग के कार्य में प्रयुक्त ईटों के मध्य दूरी सामान्य से अधिक थी एवं स्लोप पिचिंग के कार्य में प्रयुक्त आगरा कट स्टोन को सही ढंग से सही जगह प्रयुक्त किया जाना नहीं पाया गया, जिस कारण से उनके मध्य खाली जगह दिख रही थी, जिससे स्लोप में पानी का रिसाव होना एवं अन्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। मण्डलायुक्त ने इसके दृष्टिगत तकनीकि ऑडिट सेल (टी0ए0सी0), बरेली मण्डल को उक्त कार्य की तकनीकि जांच कर सुस्पष्ट जांच आख्या तीन दिन में प्रस्तुत करने हेतु निर्देशित किया।