सीएम योगी ने बरेली कांड में लगायी अपनी निजी खुफिया टीम ! मठ से जुड़े शख्स से पूछा आखिर क्या सच्चाई है ? कानून व्यवस्था पर करारा तमाचा है शनिवार की घटना ! मुख्य खलनायक कानूनी फंदे से अभी दूर ! किराये के टट्टू सलाखों के पीछे ! बरेली कप्तान की दो टूक कोई चेहरा हो, बचेगा नहीं
लखनऊ (धर्मेंद्र रस्तोगी/जर्नलिस्ट इन्वेस्टीगेशन न्यूज)। कानून व्यवस्था पर करारा तमाचा खाकी, खादी व माफिया गठजोड़ की दुर्गन्ध फैलाने वाली बरेली घटना पर बेहद नाराज सीएम योगी ने अब अपने तरीके से दुस्साहसिक गोली कांड में परत दर परत असलियत पता लगानी शुरू कर दी है। योगी ने अपनी पर्सनल एलआईयू यानी टीम पूरे मामले की तह तक जाने को लगा दी है। गोरखपुर मठ से लम्बे समय से जुड़े शख्स को सीएम योगी ने कॉल कर पूछा है कि बरेली घटना में क्या सच्चाई है? वास्तव में कौन चेहरे गोलीकांड में शामिल हैं ? मास्टरमाइंड कौन हैं ? पुलिस प्रशासन की क्या भूमिका है ? गहनता से पूरे प्रकरण के बारे में पता किया है। प्लॉट पर कब्जे को लेकर बरेली में शनिवार सुबह पीलीभीत बाईपास हाईवे पर इज्जतनगर थाना अंतर्गत बीच सड़क दिल दहला देने वाला गोली कांड हुआ। कई घंटे अराजकता चली। मामले में दो एफआईआर दर्ज होने के बीच अभी पुलिस मुख्य खलनायकों को गिरफ्तार नहीं कर सकी है। खुली गुंडई करने वाले माफियाओं के किराये के टट्टू जरूर पकड़े गए हैं। गोलीकांड के दोषियों की गिरफ्तारियों को टीमें ताबड़तोड़ कार्रवाई करने में जुटी हैं। उत्तराखंड की कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य के पति गिरधारी पप्पू, पूर्व बीजेपी विधायक पप्पू भरतौल समेत कुछ अन्य चेहरों के नाम घटना से जुड़ने पर जांच का दायरा और व्यापक हो गया है। हालांकि, इंटरनेट मीडिया के जरिये गिरधारी पप्पू और पप्पू भरतौल के साथ ही राजीव राणा ने अपनी बात रखी है। तीनों अपने को बेकसूर बता रहे हैं। राजीव राणा पुलिस की अब तक की जांच में पूरी तरह कानूनी फंदे में जकड़ता दिख रहा है। गोलीकांड, आगजनी, तोड़फोड़ जैसी बड़ी घटना को अंजाम देने को राणा ने हथियारबंद किराये के टट्टू अपने होटल व दूसरे स्थानों पर ठहराये थे। सीसीटीवी फुटेज में ये सच सामने आ गया है। यूपी पुलिस घटनास्थल व आसपास के अलावा जिन लोगों के नाम घटना में सामने आ रहे हैं, उनके ठिकानों तक के सीसीटीवी कैमरे चेक कर रही है। अन्य साक्ष्य भी लगातार तलाशे जा रहे हैं। बरेली के एसएसपी घुले सुशील चंद्रभान साफ कह चुके हैं कि इस अराजकता में शामिल कोई भी चेहरा कानूनी शिकंजे से बच नहीं सकेगा। (जर्नलिस्ट इन्वेस्टीगेशन न्यूज)।