खुदा की इबादत के लिए उम्र नहीं हौसले की दरकार होती है:-हाफ़िज़ आमिल
बदायूं (जे आई न्यूज़) बताते चलें कि मौलाना ने फ़रमाया कि खुदा की इबादत के लिए उम्र नहीं हौसले की दरकार होती है. रमजान के पाक मौके पर ऐसा ही हौसला दिखाया है ककराला के 12 वर्षीय अरिश अजमल ने.आपको बताते अरिश अजमल ककराला निवासी पूर्व विधायक मुस्लिम खां के बड़े बेटे अजमल खां के बेटे हैं. 12 साल की उम्र में आरिश अजमल ने रोज़े रखे व नमाज़ के साथ पूरी तराबी भी मुकम्मिल की।मटका बाली मस्जिद के इमाम हाफिज आमिल ने बच्चे को मुबारकबाद दी और कहा कि रोज़ा रखने से जिस्म की बहुत सारी बीमारियों से निजात मिलती है। रोज़ेदार गुनाहों से बचता हैं. इस महीने में रोज़ेदार को तरह तरह की नेमतें खाने को मिलती है। ये महीना रात दिन अल्लाह की इबादत करने का महीना है. इस महीने में रोज़ेदार मोत्तक़ी और परहेज़गार बन जाते हैं. ये महीना आपको साल भर ज़िंदगी किस तरह गुज़ारनी है नमाज़ क़ुरआन की आदत डालना और ग़रीबों की मदद करने का आदि बनाता है। इस महीने में रमज़ान की रौनक़ देखने को मिलती है और बाजार सज जाते हैं।