योगी सरकार के चर्चित आईएएस की प्रतिभा को सेल्यूट किया उप राष्ट्रपति ने ! पर्वतारोही ने अपनी लिखीं पुस्तकें भेंट कीं महामहिम को
लखनऊ(धर्मेंद्र रस्तोगी/जर्नलिस्ट इन्वेस्टीगेशन न्यूज)। मन की बात में पीएम नरेंद्र मोदी ने यूपी सरकार के जिस आईएएस रविंद्र कुमार के कार्यों को सराहा। आज मंगलवार को उसी आईएएस की देश के उपराष्ट्रपति ने सराहना की है। मौका था अपनी एवरेस्ट यात्रा पर आधारित पुस्तक मेनी एवरेस्ट व बेहद सुन्दर कॉफी टेबल बुक माउंट एवरेस्ट एक्सपीरियंस द जर्नी भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को भेंट करने का। प्रशासनिक व्यवस्थाएं चुस्त दुरुस्त करने को लेकर सख्त प्रशासक के रूप में चर्चित आईएएस रविंद्र कुमार ने उपराष्ट्रपति से मुलाकात के खास मौके पर अपनी एवरेस्ट यात्रा के बारे में उन्हें बताया। यूपी के बरेली डीएम रविन्द्र कुमार नेपाल दक्षिण व तिब्बत उत्तर के दो अलग-अलग मार्गों से माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाले चंद भारतीयों में से एक हैं। दुनिया के सर्वाेच्च शिखर से भारत सरकार के स्वच्छ भारत अभियान, नमामि गंगे जैसे प्रमुख कार्यक्रमों को माउंट एवरेस्ट की चोटी तक रविंद्र कुमार ने पहुंचाया। इन कार्यक्रमों के बाबत जन जागरूकता बढ़ाकर इसे जमीनी स्तर तक पहुंचाने का प्रयास कर गंगा जल को एवरेस्ट की चोटी तक रविंद्र कुमार ने पहुंचाया। आने वाली पीढ़ियों के लिए पेयजल की कमी न हो, इस लिहाज से संसार के लोगों से रविंद्र कुमार ने जल बचाओ की अपील की। कठिन प्रशिक्षण व दृढ़ निश्चय के साथ ही सकारात्मक कल्पना के बूते पहले ही प्रयास में 19 मई 2013 को रविंद्र कुमार दुनिया के सबसे ऊंचे शिखर पर पहुंचे। एवरेस्ट पर साल 2015 में उनकी दूसरी चढ़ाई का उद्देश्य स्वच्छ भारत अभियान के बारे में जागरूकता फैलाना था। पीएम मोदी ने झंडी दिखाकर उन्हें रवाना किया था। अभियान के दौरान रविंद्र कुमार ने 25 अप्रैल 2015 को एवरेस्ट बेस कैंप में आए भूकंप,हिमस्खलन के बाद खुद को खतरे में डाल कई जानें बचायीं। आपदा में कुछ ही मिनटों में कई जानें गई थीं। जल संरक्षण को लेकर जागरूकता फैलाने की मुहिम के बीच 23 मई 2019 को एवरेस्ट की चोटी से भारत के लोगों से भविष्य के जल संकट से बचने के लिए पानी बचाने की रविंद्र ने अपील की। साथ ही नमामि गंगे के बैनर को एवरेस्ट की चोटी तक पहुंचा। कुशल पर्वतारोही के रूप में रविंद्र ने लगभग एक दशक के दौरान माउंट एवरेस्ट को दो बार फतह किया। देश के युवाओं को ये बेहद प्रेरणादायक उपलब्धि है। रविंद्र की पुस्तक इस तरह के जोखिमभरे साहसिक कार्य को करने की योजना पर विस्तृत प्रकाश डालती है। ये आकांक्षी पर्वतारोहियों को उनकी चढ़ाई की कल्पना करने, कठिनाइयों की थाह लेने, मानसिक रूप से चढ़ाई के लिए खुद को तैयार करने के लिए मार्गदर्शक साबित हो सकती है, क्योंकि पर्वतारोहण अत्यधिक शारीरिक फिटनेस की मांग करता है। दुर्भाग्य से हर साल कई लोग चढ़ाई के दौरान जान गंवा बैठते हैं। रविन्द्र ने मेनी एवरेस्ट ऐन इंस्पायरिंग जर्नी ऑफ ट्रांसफॉर्मिंग ड्रीम्स इन्टू रियलिटी नामक जो पुस्तक लिखी है, वो सिविल सेवा, अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के उम्मीदवारों के साथ-साथ नवोदित पर्वतारोहियों के लिए लाभप्रद सिद्ध हुई है। रविंद्र ने बाद में इस पुस्तक को हिंदी में एवरेस्ट सपनों की उड़ान सिफर से शिखर तक नाम से प्रकाशित किया। जिसके चलते रविंद्र को 2020 में अमृत लाल नागर पुरस्कार और 2021 में सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय‘ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। हिंदी में कविताओं के चार संग्रह भी रविंद्र ने प्रकाशित किए हैं। अन्तरिक अन्तरिक्ष, स्वप्न यात्रा,ललक, नई आँखें व इक्कीसवीं सीढ़ी इनमें प्रमुख हैं जबकि एक और संग्रह दूसरी जंग अभी प्रकाशनाधीन है। 2019 में एवरेस्ट की उनकी यात्रा पर आधारित दो लघु वृत्तचित्र यानी डाक्यूमेंटरी फिल्म शिखर से पुकार एवं गंगा का लाल भी हैं, जो मुख्य रूप से एवरेस्ट अभियान के माध्यम से जल संरक्षण पर केंद्रित हैं। सिक्किम सरकार के सिक्किम खेल रत्न पुरस्कार और बिहार सरकार के विशेष खेल सम्मान से भी रविंद्र को नवाजा जा चुका है। रविंद्र कई अन्य पुरस्कारों व प्रशंसाओं से सम्मानित किये गए हैं। उपराष्ट्रपति ने रविन्द्र के इस अचीवमेंट पर उनकी सराहना की। साथ ही बधाई देते हुए शुभकामनाएं दी हैं। इस दौरान उपराष्ट्रपति के निजी सचिव आईएएस सुजीत कुमार भी मौजूद रहे। (जर्नलिस्ट इन्वेस्टीगेशन न्यूज)।