यूपी पुलिस कर्मियों की बल्ले-बल्ले : सीधे बॉस सुनेंगे मातहतों की समस्यायें ! सिंघम डीजीपी ने वर्दी वालों के हित में जारी किया फरमान
लखनऊ (धर्मेंद्र रस्तोगी/जर्नलिस्ट इन्वेस्टीगेशन न्यूज)। यूपी पुलिस के सिंघम डीजीपी प्रशांत कुमार सोशल मीडिया पर छाए हुए हैं। देश के सबसे बड़े पुलिस बल के कप्तान प्रशांत कुमार ने हाल ही में अपने मातहतों का दुःख दर्द खुद सुनने का फरमान जारी किया है। पुलिस मुखिया का फरमान जैसे ही निचले स्तर तक पहुंचा, पुलिस कर्मियों व उनके परिजनों से लेकर समाज के अच्छे भले लोगों और विभिन्न सामाजिक संगठनों के जिम्मेदारों ने सीनियर आईपीएस प्रशांत कुमार के निर्णय को खूब सराहा। बलिदानियों की धरती बिहार के लाल एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रशांत कुमार के ताजा निर्णय के बाबत सोशल मीडिया पर लोगों का कहना है कि जब पुलिस परिवार के मुखिया खुद वर्दी वालों की समस्यायें सुनेंगे तो समय रहते पूरी पारदर्शिता से प्राथमिकता के आधार पर पुलिस वालों की समस्यायें निस्तारित होंगी। ऐसे जिम्मेदारों पर भी एक्शन संभव है, जो पुलिस कर्मियों की समस्याओं को संवेदनशीलता के साथ नहीं ले रहे हैं या फिर अनावश्यक उन्हें परेशान करते हों। लोगों का कहना है कि भारत के सबसे बड़े राज्य के डीजीपी प्रशांत कुमार जमीन से जुड़े व्यक्तित्व के धनी हैं। एडीजी मेरठ जोन रहते चंद दिनों में ही प्रशांत कुमार ने टीम भावना की बेहतर सोच के बूते अपराध और अपराधियों पर प्रभावी अंकुश पा लिया। तमाम इवेंट्स के मौकों पर एडीजी एलओ रहते उन्होंने 24 घंटे और सातों दिन दमदारी से अपनी जिम्मेदारी निभाई। अब राज्य के डीजीपी की बड़ी जिम्मेदारी भी संवेदनशीलता के साथ ही सूझबूझ से निभा रहे हैं। कोई भी मिशन फतह करने को जरूरी है कि अपनी टीम अपना परिवार समस्या रहित रहे। तभी टीम के लोग भी पूरे मनोयोग से काम करते हैं। इसी सोच के साथ अब डीजीपी ने निर्णय लिया है कि सोमवार से शुक्रवार के बीच प्रदेश के पुलिस कर्मी अपनी बात रखने उनके समक्ष आ सकते हैं, इसके लिए सम्बंधित प्रभारी से अनुमति जरूरी है। कई रिटायर्ड पुलिस अफसरों का कहना है कि पुलिस महानिदेशक का ये निर्णय स्वागत योग्य है। यूपी जैसे विशाल राज्य में तमाम व्यस्तताओं के बाबजूद पुलिस परिवार के मजबूत अंग सिपाही, दारोगाओं आदि वर्दी वालों की बात यानी उनकी समस्यायें खुद उनके मुखिया अर्थात डीजीपी सुनेंगे तो निश्चित तौर पर मातहतों की वास्तविक समस्यायें दूर होंगी। पुलिस परिवार के हित में डीजीपी के निर्णय की सोशल मीडिया पर लगातार सराहना हो रही है। लखीमपुर कांड, कांवड़ यात्रा स्वागत, अतीक अशरफ कांड, सीएए, एनआरसी बवाल, किसान आंदोलन, मुख्तार अंसारी मौत मामले समेत ना जाने कितने गंभीर मामलों में सार्थक कानूनी कदम उठाने के दौरान डीजीपी प्रशांत कुमार सोशल मीडिया की सुर्खियों में लगातार रहे। अब एक बार फिर डीजीपी प्रशांत कुमार सोशल मीडिया पर छाए हुए हैं। पुलिस कर्मियों के लिए डीजीपी के ताजा निर्णय की सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर खासी चर्चा है। (जर्नलिस्ट इन्वेस्टीगेशन न्यूज)।