Thursday, 21-11-2024
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राजवीर सिंह तरंग के सम्मान में कारवान-ए-अमजद अकादमी ने सजाई काव्य गोष्ठी

रिपोर्ट.सैयद तुफैल अहमद

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बदायूं (जे आई न्यूज़) बताते चलें कि विगत दिनों हिंदुस्तानी भाषा अकादमी नई दिल्ली द्वारा जनपद के उभरते साहित्यकार राजवीर सिंह 'तरंग' को श्रेष्ठ दोहाकार सम्मान से सम्मानित किया गया।जिसके उपलक्ष्य में करवान-ए- अमजद अकादमी द्वारा काव्य गोष्ठी का आयोजन कर जनपद के साहित्यकार राजवीर सिंह 'तरंग' का इस विशेष उपलब्धि के लिए शाल ओढ़ाकर एवं फूलमालाएं पहनाकर स्वागत सम्मान किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता उस्ताद शायर अहमद अमजदी बदायूंनी ने की। मुख्य अतिथि मुरादाबाद जनपद से पधारे वेदालेक्स हर्बल प्रोडक्ट्स कंपनी के स्काॅरपियोन स्टार सुमित जॉनसन तथा विशिष्ट अतिथि वेदालेक्स हर्बल प्रोडक्ट्स कंपनी के शाइनिंग स्टार राम बाबू कश्यप रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ राजवीर सिंह 'तरंग' के द्वारा सरस्वती वंदना से हुआ। 



प्रसिद्ध शायर व तरन्नुम के शहंशाह अहमद अमजदी ने कहा - 

*!खुशी ही खुशी है न अब कोई ग़म है!*


*!तुम्हें पा लिया हमने ये भी क्या कम है!*      


चर्चित साहित्यकार अमन मयंक शर्मा ने कहा- 

इस जिंदगी के सफ़र को सिर्फ कब्र तक जाना है, इस जिंदगी को न जाने क्या क्या गुल खिलाना है।


*ज़िंदगी जिंदादिली से जियो दोस्तों*, 


*!खाली हाथ आए हो खाली हाथ जाना है!*


उम्दा गज़लकार व पत्रकार शम्स मुजाहिदी बदायूंनी ने कहा- 

*!'सर्दी-गर्मी बहार का मौसम!*


*!सबसे बेहतर है प्यार का मौसम!*

*!जाके वापस कभी नहीं आता!* 


है अजब ऐतबार का मौसम।।'

संचालन कर रहे ललतेश कुमार 'ललित' ने मानव जीवन के संघर्ष पर बल देते हुए कहा - 

"खुद ही हमने हल निकाला जीवन के संघर्ष का।


खुद ही हमने है बनाया रास्ता उत्कर्ष का।।"



 कारवान -ए-अमजद अकादमी के सचिव राजवीर सिंह 'तरंग'ने कहा-

 'न जाने क्यों  दिले अरमां मेरा पूरा नहीं होता, 


जिसे अपना समझता हूॅं वही अपना नहीं होता'‌।

  नवोदित शायर अमान फर्रुखाबादी ने कहा -

 "*किसी को दिल पे लिखी ग़ज़लों का नशा।

   किसी को ज़माने की फ़जलों का नशा*" 


     कार्यक्रम के अंत में कारवान -ए-अमजद अकादमी के द्वारा राजवीर सिंह 'तरंग' को शाल ओढ़ाकर एवं फूल मालाएं पहनाकर स्वागत सम्मान किया गया। 


कार्यक्रम में नंदलाल जी, प्रदीप कुमार, कन्हई लाल, विनय, वीर, पारस , कनिष्का, निशा देवी, अनुराग गौतम आदि व्यक्ति मौजूद रहे।

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